बच्चों के लिए कहानियां हिंदी में  

Story for kids in Hindi – बच्चों के लिए कहानियां हिंदी में  

1.सोने का मल त्याग करने वाला पंछी 

Story for kids in Hindi - बच्चों के लिए कहानियां हिंदी में  
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एक बार की बात है शहर में एक पेड़ पर एक पक्षी रहता था। वह पक्षी  बहुत खास था क्योंकि जब भी वह अपना मल त्याग करता था तो वह जमीन पर गिरकर सोने में बदल जाती थी। ऐसे पक्षी के बारे में कभी किसी ने नहीं सुना था और न ही कभी किसी ने ऐसा पक्षी देखा था। शहर में किसी को पता नहीं था कि वहां ऐसा पक्षी है।

एक दिन उस शहर का एक यात्री चलते-चलते थक गया, वह उस पेड़ के नीचे रुक गया ताकि वह कुछ देर आराम कर सके। जब वह आराम कर रहा था, तो ऊपर बैठे पक्षी ने सोचा कि क्यों न इस व्यक्ति की थोड़ी मदद कर दी जाए। यह सोचकर उस पक्षी ने अपना मल उस व्यक्ति की तरफ फेंक दिया। जैसे ही उसका मल जमीन पर गिरा, वह सोने में बदल गया। यह देखकर वह आदमी हैरान रह गया। उस आदमी ने सोना उठाया और उससे खुश हो गया।

अब उसके अंदर लोभ बढ़ने लगा। इसलिए वह व्यक्ति उस पक्षी को पकड़ना चाहता था। पक्षी को पकड़ने के लिए उसने पेड़ पर जाल बिछाया और उसने उस पक्षी को पकड़ लिया। पक्षी को पकड़ने के बाद वह उसे घर ले गया। उसे घर ले जाकर उसने उस समय की प्रतीक्षा की जब वह पक्षी अपना मल त्याग देगा और उसे सोना देगा। यह सब सोचकर उसके मन में एक और विचार आया। वह सोचने लगा कि अगर राज्य के राजा को किसी पक्षी के बारे में पता चल गया तो वह ले लेगा और शायद राजा उसे छिपाने की सजा भी दे सकता है। इस कारण उस व्यक्ति ने पक्षी को लेकर राजा को भेंट कर दिया।

राजा के पास जाकर उसने बताया कि यह पक्षी कोई आम पक्षी नहीं है, बल्कि यह एक विशेष पक्षी है जिसका मल सोने में बदल जाता है। यह सुनकर राजा ने पक्षी को अपने पास रख लिया। कुछ समय बाद एक मंत्री राजा के पास आया और उससे कहा, “श्रीमान, ये सब बातें बकवास हैं। क्या आपने कभी सुना है कि एक पक्षी सोने का मल त्याग करता है? इसलिए आप इस पक्षी को छोड़ दें और अपना समय बर्बाद न करें।

ऐसे में राजा के मंत्री की बात मानकर उस पक्षी को छोड़ने का आदेश दिया। पंछी  जैसे ही उड़ने लगी उसने दरबार में अपना मल त्याग दिया और फर्श पर गिरते ही उसका मल सोने का हो गया। राजा यह देखकर चकित रह गया और उसने मंत्री को किसी भी तरह से पक्षी लाने का आदेश दिया।

उड़ते हुए पक्षी ने कहा, “मैं एक मूर्ख था जिसने उस व्यक्ति के सामने अपना मल त्याग किया था। वह व्यक्ति मूर्ख था जिसने मुझे राजा को दिया और यह राजा मूर्ख है जिसने मुझे यहां से जाने दिया। इस राज्य सबके सब बेवकूफ भरे पड़े हैं। ” गोल्डन ड्रॉपिंग स्टोरी की कहानी हिंदी में।

2. मुर्गे की अकल

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एक समय की बात है, एक गांव में बहुत सारे मुर्गे रहते थे। गांव के कुछ बच्चों ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने कहाँ हमारी कोई अहमियत ही नहीं समझता, मेरे ही सुबह सुबह बांग देने से लोग जागते हैं। अगले दिन सुबह मैं आवाज ही  नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत क्या है, सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह बोला ही नहीं।
लेकिन  रोज की ही तरह सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए।  मुर्गा हैरान रह गया और इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना किसी का कोई काम नहीं रुकता। सबका काम किसी न किसी तरीके से चलता रहता है।

नैतिक शिक्षा – किसी बात का कभी घमंड नहीं करना चाहिए आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चल जाती है।

3.गड़ेरिये की कहानी 

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एक बार  एक गड़ेरिया था वह पहाड़ी पर गांव की भेड़ों को चराता था। एक दिन वह  पहाड़ी पर चरते गाँव की भेड़ों को देखकर ऊब गया था। अपना मनोरंजन करने के लिए, उसने चिल्लाया , “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ का पीछा कर रहा है!”

जब ग्रामीणों ने चीख सुनी, तो वे भेड़िये को भगाने के लिए पहाड़ी पर दौड़ते हुए आए। लेकिन, जब वे पहुंचे, तो उन्होंने वहां पर कोई भेड़िया नहीं देखा। उनके गुस्से वाले चेहरों को देखकर वह गड़ेरिया बहुत खुश हुआ।

“भेड़िया नहीं है तो भेड़िया भेड़िया क्यों चिल्लाते हो,” वेवजह हमें परेशान किया।  ग्रामीणों ने उसे चेतावनी दी, और वे गुस्से में पहाड़ी से वापस चले गए।

बाद में, अपने मनोरंजन के लिए गड़ेरिया एक बार फिर चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ का पीछा कर रहा है!” , उसकी आवाज सुनकर  ग्रामीण भेड़िये को भगाने  के लिए पहाड़ी पर दौड़ते हुए आए हैं।

जब उन्होंने देखा कि वहां कोई भेड़िया नहीं है, तो उन्होंने सख्ती से कहा  जब वास्तव में कोई भेड़िया नहीं है तो तुम क्यों चिल्लाते हो! क्यों हमें परेशान करते हो। जब भेड़िया न हो तो तो बेवजह मत चिल्लाना!” लेकिन गड़ेरिया उनकी बातें सुनकर  मुस्कुराया। ग्रामीण एक बार फिर पहाड़ी से नीचे बड़बड़ाते हुए चले गए।

थोड़ी देर बाद, गड़रिये ने एक असली भेड़िये को अपने भेड़ों के झुंड की ओर आते देखा। घबराए हुए, वह वहां से भागा और जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया!” सब जल्दी आओ ‘भेड़िया भेड़ो को मार रहा है’  लेकिन ग्रामीणों ने सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।

सूर्यास्त होने वाला था लेकिन गड़ेरिया भेड़ों के साथ वापस नहीं लौटा तो, ग्रामीण उस गड़रिये  की तलाश में गए। जब वे पहाड़ी पर गए, तो उन्होंने उसे रोते हुए पाया।

“यहाँ वास्तव में एक भेड़िया आया था! और उसने कई भेड़ो को मार डाला! मैं कई बार चिल्लाया, ‘भेड़िया, भेड़िया !’ लेकिन तुम लोग नहीं आए,” वह चिल्ला कर बोला।

एक बूढ़ा आदमी उस गड़ेरिये को सांत्वना देने आया और कहा, “झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता, भले ही वह सच की क्यों न कह रहा हो!”

4.ऊंट का बच्चा

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​​एक दिन, एक ऊंट का बच्चा अपनी माँ से बातें कर रहा था। उसने पूछा, “माँ, हमारे पास कूबड़, गोल पैर और लंबी पलकें  क्यों हैं?”

एक गहरी सांस खींचते हुए, माँ ने समझाया, “हमारे कूबड़ में पानी जमा होता है। जो हमें रेगिस्तान में लंबी यात्राओं में जीवित रहने में मदद करता है जहाँ पानी की कमी होती है। हमारे गोल पैर हमें रेत पर आराम से चलने की अनुमति देते हैं। और, हमारी लंबी पलकें हमारी आँखों को धूल से बचाती हैं। और रेत, विशेष रूप से सैंडस्टॉर्म के दौरान।”

ऊंट का बच्चा कुछ देर चुप रहा और फिर पूछा, “माँ, इतने गुणों से संपन्न होने पर भी हम चिड़ियाघर में क्यों रहते हैं?”

मान शांत थी, शायद इस बात का जबाब देना कठिन था।

कहानी का मोरल: यदि आप सही जगह पर नहीं हैं तो आपके कौशल और ताकत का कोई फायदा नहीं है।

5.हाथी की दोस्ती

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एक बार एक अकेला हाथी था। उसके पास कोई दोस्त नहीं थे। एक दिन वह जंगल में अपने लिए दोस्त खोजने निकला। उसे एक बंदर मिला और उसने उससे पूछा कि क्या वह उसका दोस्त बनेगा। बंदर ने यह कहते हुए मना कर दिया, “तुम मेरे जैसे पेड़ों से झूल नहीं सकते।” इसलिए मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता।

हाथी आगे चला, उसे एक खरगोश से मिला और उसे अपना दोस्त बनने के लिए कहा। खरगोश ने भी यह कहते हुए मना कर दिया, “तुम मेरे बिल में प्रवेश करने के लिए बहुत बड़े हो।”

हाथी फिर एक मेंढक से मिला, जिसने यह कहते हुए मना कर दिया, “तुम मेरी तरह छलांग नहीं लगा सकते।” हाथी जंगल में और गहराई में चला गया जहाँ उसकी मुलाकात एक लोमड़ी से हुई। लोमड़ी ने भी हाथी की दोस्ती को यह कहते हुए इनकार कर दिया, “तुम बहुत बड़े हो।”

निराश होकर हाथी लौट आया। हालांकि, अगले दिन उसने फिर से जंगल जाने का फैसला किया। जैसे ही वह जंगल में प्रवेश किया, हाथी ने सभी जानवरों को अपनी जान बचाने के लिए दौड़ते हुए पाया। उसने भालू को यह पूछने के लिए रोका कि क्या हुआ था।

भालू ने कहा, “बाघ हमें खाना चाहता है और इसलिए हम सब खुद को बचाने के लिए दौड़ रहे हैं।”

जैसे ही हाथी सोच रहा था कि वह जानवरों की मदद के लिए क्या कर सकता है, बाघ उसके पास चला गया।

“श्रीमान टाइगर, कृपया इन जानवरों को छोड़ दें। उन्हें मत मारो और खाओ,” हाथी ने बाघ से विनती की।

“भागो नहीं तो मैं तुम्हें भी मार कर खा जाऊँगा,” बाघ ने गुर्राया।

इससे हाथी नाराज हो गया और उसने बाघ को लात मार दी। भयभीत बाघ भाग गया।

सभी जानवर अब हाथी से दोस्ती करना चाहते थे।

कहानी का मोरल: आप उन लोगों से भी दोस्ती कर सकते हैं जो आपसे थोड़े अलग हैं।
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