सोने के सिक्को की बारिश
एक बार की बात है एक गांव में भोला नाम का एक गरीब किसान अपनी माँ के साथ रहता था, वह हमेशा अपनी गरीबी से परेशान रहता था।
वह हमेशा अपनी माँ से अपनी गरीबी के बारे में ज़िक्र किया करता और चिंतित रहता था। उसकी माँ हमेशा उसे दो शिक्षा देती –
पहला हमेशा ईमानदार रहो और कभी किसी का बुरा मत करो तथा ईश्वर सभी को “सही समय” पर सब कुछ देते हैं। दूसरा – हमारी गरीबी भी भगवान सही समय आने पर अवश्य दूर करेंगे।
वह किसान बहुत ही सीधा था और उसके दोस्त हमेशा उसके भोलेपन का मज़ाक उड़ाते थे।
एक दिन रात में उसने एक सपना देखा के उसके घर पर अचानक – “सोने के सिक्को की बारिश” हो रही हैं। उसने अपने सपने के बारे में अपने दोस्त रामू को बताया। रामू ने उसकी बात का मज़ाक उड़ाते हुए कहा – “हाँ मुझे भी सपना आया था की खेत में – सोने के सिक्को से भरा एक घड़ा निकला है जो मुझे मिल जाता है ” . यह कहकर वह हँसता हुआ वहां से चला गया।
अगले दिन सुबह भोला अपने खेत में रोज़ की तरह हल चला रहा था , तभी अचानक उसकी नज़र एक घड़े पर पड़ी। उसने जैसे ही घड़े को खोला, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी –उसमें सोने के सिक्के थे।
वह बेचारा बड़ा दुखी हुआ – उसे लगा की ये तो उसके मित्र रामु का सपना था और उसे इस सिक्के को रामु को देने चाहिए। वह रामु के पास गया और बोला – रामु – आज तुम्हारा सपना सच हो गया – जाओ जाकर मेरे खेत से अपना सोने के सिक्को से भरा हुआ घड़ा लेलो।
यह कह कर भोला अपने घर की और चल पड़। वह अब अपने सपने पूरे होने का इंतजार करने लग। उसे लगता है के शायद अब सोने के सिक्कों की बारिश भी होगी। उसकी इस बात से उसकी माँ परेशान होकर बोली – “भोला तू सचमुच भोला है, भला क्या कभी सोने की बारिश होती है ? सो जा चुप चाप आखें बंद करके।
उधर रामु ने सोचा -“क्या भोला मुझे बेवक़ूफ़ बना रहा है? या वह खुद इतना बेवक़ूफ़ है?, भला कोई ऐसा करता है क्या , मगर चलो, एक बार चलकर देखता हूँ क्या सचमुच वहाँ सोने का घड़ा है “
रामु जैसे ही खेत में पंहुचा, वहां उसे सचमुच घड़ा दिखा। मगर यह क्या – उसमे तो ऊपर कई सारे साँप हैं, जिसे देखकर रामु बहुत घबरा गय। वह सोचने लगा के इस घड़े में कोई सिक्के नहीं हैं, भोला ने उसे नुक्सान पहुंचाने के लिए खुद ही सांप से भरे इस घड़े को यहाँ रखा होगा।
यह सब सोचकर रामु को बहुत गुस्सा आया और उसने भोला से बदला लेने की सोची। वह मन ही मन योजना बनाने लगा की आज रात भोला के घर जाऊँगा और भोला की छत पर चढ़ कर यह घड़ा उसी के ऊपर उलट दूंगा”। रात होने पर रामु घड़े को लेकर भोला की छत पर चढ़ गया, उसने देखा नीचे आँगन में भोला सोया हुआ है। रामु ने घड़े का ढक्कन हटाया और घड़ा भोला के ऊपर उल्टा कर दिया, और वहां से चला गया।
जैसे ही साँप नीचे गिरे, सारे इधर उधर बाहर की तरफ चले गए, और यह क्या – अचानक से इतने सारे सोने के सिक्के भोला के विस्तर के ऊपर? ये कहाँ से आये, क्या सोने की बारिश हुई ? जी नहीं उस घड़े में नीचे सिक्के थे और ऊपर सांप। रामु को सिर्फ ऊपर के सांप ही दिखे थे।
भोला के सपने सच हुए – सोने के सिक्कों की बारिश हुई। उसे उसकी मासूमियत और ईमानदारी का फल मिला। रामु को उसके बुरे व्यवहार का दंड मिला। वह दुखी था – की हाथ में आया हुआ धन भी वह स्वयं अपने हाथों से खो चुका था। भोला की माँ बहुत खुश थी, अब उनकी गरीबी दूर हो चुकी थी।
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