Saturday, December 6, 2025

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अपनी वाणी और व्यवहार पर संयम रखना क्यों जरूरी है

🌻अपनी वाणी और व्यवहार पर हमेंशा संयम रखना चाहिए – मधुर बोल ही अच्छे रिश्तों की पहचान

हमारी वाणी और व्यवहार ही हमारे व्यक्तित्व का असली परिचय होते हैं। कई बार गुस्से या आवेश में हम कुछ ऐसा बोल या कर जाते हैं, जिसका हमें बाद में गहरा पछतावा होता है।

खासकर तब, जब हमारे शब्द किसी अपने को चोट पहुँचा देते हैं — वो अपने जिन्हें हम सबसे ज्यादा चाहते हैं।
इसलिए कहा गया है कि “बोलने से पहले सोचो, क्योंकि शब्द वापस नहीं आते।

अपनी वाणी और व्यवहार पर हमेंशा संयम रखना चाहिए। बोल तो अनमोल है इसलिए कुछ बोलने से पहले उस बोले जाने वाली बात  पर अच्छे से विचार करना चाहिए।

“वाणी एक अमोल है जो कोई बोले जानि 

हिये तराजू तौलि के तब मुख बाहर आनि “

क्योंकि औजार की चोट का घाव तो भर जाता है परन्तु जुबान से दिया हुआ घाव जल्दी नहीं भरता।

क्रोध – रिश्तों का सबसे बड़ा दुश्मन

जीवन में हर रिश्ते की बहुत अहमियत होती है, और आपसी समझ और प्रेम ही रिश्तो की डोर होती है।  कई बार क्रोध और किसी सन्देश वस आवेश में आकर हम बहुत सी गलतियाँ कर जाते हैं और अपने मुख से कुछ ऐसे शब्द बोल जाते है जिससे हमारे रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो जाता है।

आवेश में आकर की गयी गलती हमारे बने बनाये रिश्ते को पल भर में तोड़ देती है। उसके बाद दुबारा अक्सर हम उस रिश्ते को जोड़ने की कोशिश पूरी करते हैं परन्तु रिश्तों में पड़ी दरार को पूर्ण रूप से भरना सम्भव नहीं हो पाता।

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए  

जोड़े ते फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए 

रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को पल भर में नहीं तोडना चाहिए, क्योंकि फिर आप अगर जोड़ना चाहेंगे तो यह जुड़ तो जायेगा परन्तु इसमें एक गांठ अवश्य पड़ जाएगी।

इसलिए हमें अपनी  वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।

वाणी और व्यवहार पर संयम क्यों जरूरी है

  • संयमित वाणी रिश्तों में मधुरता लाती है।
  • शांत व्यवहार जीवन में सम्मान और संतुलन बनाए रखता है।
  • गुस्सा या कठोर शब्द क्षणिक संतुष्टि देते हैं लेकिन लंबे समय का पछतावा छोड़ जाते हैं।
  • मीठे बोल न केवल दूसरों को खुश करते हैं बल्कि मन को भी शांत रखते हैं।

इसलिए हर परिस्थिति में अपने शब्दों और व्यवहार को सोच-समझकर प्रयोग करें।

🌿 शिक्षा (Shikh):

वाणी और व्यवहार में संयम रखना केवल दूसरों के लिए नहीं, बल्कि स्वयं के आत्म-विकास के लिए भी आवश्यक है।
मधुर वाणी से आप किसी का दिन बदल सकते हैं, जबकि कठोर शब्द किसी का जीवन। 
इसलिए हमेशा विनम्रता और समझदारी से बोलें — यही सच्चे सभ्य व्यक्ति की पहचान है।

निष्कर्ष (Nishkarsh):

बोल इंसान का सबसे बड़ा आभूषण होते हैं।
संयमित वाणी और शांत व्यवहार से आप न केवल रिश्तों को मजबूत रख सकते हैं,
बल्कि जीवन में शांति और सम्मान भी पा सकते हैं।

याद रखिए —

“मीठे बोल अमृत समान हैं, और कटु वचन जहर के समान।” 
तो बोलिए कम, पर ऐसा बोलिए जो दिल में उतर जाए।

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