ज्ञान और भक्ति में अंतर
ज्ञान एक दीपक की भाँति है और भक्ति एक मणि के सामान हैं। दोनों में ज्योंति है, इसलिए दोनों अँधेरे को दूर करते हैं। परन्तु दीपक को प्रकाश देने के लिए बाती और तेल की आवश्यकता होती है जबकि मणि को प्रकाश देने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं होती।
ज्ञान पुरुष है, माया स्त्री है, इसलिए पुरुष स्त्री की तरफ आकर्षित हो सकता है। लोभ और माया की आंधी में दीपक विचलित हो सकता है। आंधी के तेज से दीपक की लौ बुझ भी जाती है। जबकि मणि के प्रकाश में किसी भी आंधी का कोई असर नही होता।
ज्ञान से अहंकार हो सकता है परन्तु भक्ति में नहीं, क्योंकि भक्त स्वयं में सरल होता है।