🦁 Motivational Story in Hindi – काबिलियत भूल जाने की सजा
एक बार एक चर्चित सर्कस में पांच शेर थे। एक डंडे के इशारे पर शेर सर्कस में अपने कर्तब दिखाते थे, और सर्कस बंद होने पर पिजड़े में रहते थे। वक्त बीतता गया, धीरे धीरे उस सर्कस के दर्शक कम होते गये और एक दिन वह सर्कस बंद हो गया।
सर्कस बंद होने के बाद आमदनी का रास्ता भी बंद हो गया। सर्कस के सारे कलाकारों को निकाल दिया गया। आमदनी न होने के कारण शेरों के भोजन का इंतजाम करना बहुत मुश्किल हो गया था तो सर्कस के मालिक ने शेरों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया।
उन पांचो शेरों को जंगल में छोड़ दिया गया। वैसे तो शेर जंगल का राजा होता है परन्तु इन शेरो के लिए जंगल बड़ा ही असहज प्रतीत हो रहा था। शायद इसलिए क्योंकि वे बचपन से ही जंगल से दूर, एक पिजड़े में रहे थे और उन्हें भोजन समय समय पर बिना किसी मसक्कत के मिल जाता था।
उन पांचों शेरों को जंगल में छोड़े हुए एक सप्ताह बीत चुके थे। जंगल विभाग से पता चला की उनमें से चार शेरों को जंगली कुत्तों ने हमला करके मार डाला था और एक शेर भोजन न मिलने की वजह से भूख के कारण मर गया था।
यह बड़े ही आश्चर्य की बात थी, कि जिस शेर की वजह से जंगल के सभी जानवर दहसत में होते हैं और जिस शेर का भोजन सिर्फ शिकार होता है, वह जंगल का राजा जंगली कुत्तो के हमले में मारा गया। जो शेर सिर्फ ताजा शिकार ही खाता है, वह भूख से कैसे मर गया।
शायद इसलिए क्योंकि वे शेर अपनी काबिलियत भूल चुके थे। बिना शिकार के, बिना किसी भाग दौड़ के सर्कस में उन्हें समय समय पर भोजन मिल जाने के कारण वो यह भी भूल गए थे कि वे क्या क्या कर सकते है और उनकी काबिलियत क्या है। क्योंकि सर्कस में वे अपनी हर जरुरत के लिए किसी और पर निर्भर थे। पिंजड़े में बंद होने के कारण वो यह भूल चुके थे की वाकई में उनका क्या अस्तित्व है। वे आलसी और अकर्मण्य हो चुके थे। उनके पंजे शिकार करने के लिए मजबूत नहीं थे और मन जंगल के हालात के लिए परिपक्व नहीं था, शायद इसलिए उन जंगली कुत्तों के हमले का वे शेर मुकाबला नहीं कर पाए।
जीवन में अक्सर सर्व सम्पन्न लोग अपने बबच्चों को कुछ इस तरह से ही पालते हैं कि उन्हें जो भी चाहिए होता है उनके मांगने से पहले ही हाजिर कर देते हैं। और हर माँ बाप अक्सर यही चाहते हैं कि वे अपनी औलाद के लिए इतना कुछ कर दें कि ताकि उन्हें जीवन में किसी प्रकार की कोई कमीं न हो। और उन्हें अपने जीवन में ज्यादा हाथ पैर ना मारना पड़े।
परन्तु यह सहीं नहीं है, क्योंकि ये चीजें बच्चे को कहीं न कहीं उसकी काबिलियत आंकने का मौका ही नहीं देती और वो यह भूल जाता है कि उसकी काबिलियत क्या है। और जीवन में कभी कुछ ऐसा वक्त आता है जब उसे उसकी काबिलियत का इम्तेहान देना पड़ता है तो वह उस इम्तेहान में असफल हो जाता है, क्योंकि पहले कभी उसने अपनी काबिलियत को पहचानने की कोशिश ही नहीं की। उसे कभी कुछ भी अपनी काबिलियत से हासिल करने का मौका ही नहीं मिला।
इसलिए जीवन में अपने बच्चों को सिर्फ बैंक बैलेंस, प्रॉपर्टी और सुविधायें ही मत दीजिये, बल्कि उन्हें वो काबिलियत प्रदान कीजिये जिससे वे अपने जीवन में आने वाली हर परिस्थिति का सामना करने के काबिल हो, और दुनिया में अपनी काबिलियत से हर वो सब हासिल कर सके जो वह चाहता है।
🌱कहानी से सीख (Kahani Se Seekh):
इन शेरों की हार का कारण उनकी कमजोरी नहीं थी, बल्कि उनकी निर्भरता थी।
सर्कस में आराम और सुविधा ने उन्हें आलसी और अकर्मण्य बना दिया।
वे भूल गए कि असली ताकत उनके भीतर है, किसी और के सहारे में नहीं।
👉 जीवन में भी यही सच है।
जब माता-पिता अपने बच्चों को हर चीज़ तैयार अवस्था में देते हैं —
बिना मेहनत, बिना संघर्ष — तो वे बच्चे कभी अपनी असली काबिलियत पहचान नहीं पाते।
और जब जीवन कभी असली परीक्षा लेता है,
तो ऐसे बच्चे हार जाते हैं, क्योंकि उन्होंने कभी अपनी क्षमता को आज़माया ही नहीं।
प्रेरणा:
“सुविधा इंसान को कमजोर बनाती है,
संघर्ष ही उसे मजबूत बनाता है।”
इसलिए अपने बच्चों को सिर्फ संपत्ति या आराम नहीं, बल्कि काबिलियत और आत्मनिर्भरता दीजिए।
यही वह संपत्ति है जो उन्हें जीवन की हर परिस्थिति में सफल बनाएगी।

