Monday, October 27, 2025

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संगत का असर – बाज़ और मुर्गियों की प्रेरक कहानी

संगत का असर: कैसे हमारा परिवेश हमारे सोच और क्षमता को प्रभावित करता है

संगत का असर Sangat ka asar : एक गाँव में एक किसान रहता था। एक बार उसे कहीं से बाज़ का अंडा मिला। उसने उस अंडे को मुर्गी के अंडे के साथ रख दिया। मुर्गी अन्य अंडों के साथ उस अंडे को भी सेने लगी।

कुछ ही दिनों में मुर्गी के अंडे से चूजे और बाज़ के अंडे से बाज़ निकल आये। बाज़ का बच्चा मुर्गियों के साथ बड़ा होने लगा। वह मुर्गियों के साथ इधर-उधर खाता-पीता, खेलता कूदता हुआ बड़ा होने लगा।

मुर्गियों के साथ रहते हुए उसे कभी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि वह मुर्गी नहीं बल्कि एक बाज़ है। वह अपने आप को मुर्गी समझता था और उन्हीं की तरह सब कुछ करता था।

जब उसके उड़ने की बारी आई तो वह भी दूसरे चूजों को देखकर थोड़ी ऊंचाई तक उड़ गया और फिर वापस जमीन पर आ गया। वह भी ऊँचा उड़ना चाहता था, लेकिन जब वह सबको थोड़ा ही ऊँचा उड़ता देखता तो वह भी उतना ही ऊँचा उड़ता। उसने कोशिश की कि वह ज़्यादा ऊँचा न उड़े।

एक दिन उसने आकाश में एक बाज़ को उड़ते हुए देखा। उसने पहली बार किसी पक्षी को इतनी ऊंचाई पर उड़ते देखा था। उसे बहुत आश्चर्य हुआ. उसने चूजों से पूछा, “भाई, यह कौन है, जो इतनी ऊंचाई पर उड़ रहा है?”

चूज़ों ने कहा, “वह बाज़ है, पक्षियों का राजा। वह आकाश में सबसे ऊंचे स्थान पर उड़ जाता है। कोई अन्य पक्षी इसकी बराबरी नहीं कर सकता।

“क्या होगा अगर मैं उसकी तरह उड़ना चाहूं?” छोटे बाज़ ने पूछा ?

“कैसी बात करते हो तुम? यह मत भूलो कि तुम एक चूजे हो। चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो, तुम बाज की तरह उड़ नहीं पाओगे। इसलिए व्यर्थ में ऊंची उड़ान भरने के बारे में मत सोचो। थोड़ा सा ही उड़कर खुश रहो क्योंकि तुम की तरह नहीं उड़ सकते हो।” मुर्गियाँ बोलीं।

बाज़ ने इसे स्वीकार कर लिया और कभी भी ऊँचा उड़ने की कोशिश नहीं की। बाज़ होते हुए भी वह सारी जिंदगी मुर्गे की तरह जिया।

कहानी से शिक्षा (Moral of Story):

  1. हमारी संगत और वातावरण हमारे सोच और दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित करते हैं।
  2. हम सभी में अपार क्षमता होती है, लेकिन उसे पहचानने और उपयोग करने की जरूरत होती है।
  3. अपने आप को कम मत आंकें, अपनी सीमाओं को मत तय करें। अगर आप बाज़ बनना चाहते हैं, तो उड़ान भरने से कभी मत डरें।
  4. यदि हम अपने आप को मुर्गी समझते हैं तो हम मुर्गी बन जायेंगे और यदि हम अपने आप को बाज़ समझते हैं तो हम बाज़ बन जायेंगे। अपने आप को कम मत आंको, अपनी क्षमता को सीमित मत करो, बाज़ बनो और जीवन में ऊंची उड़ान भरो।

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