छोटे बच्चे -अकबर बीरबल की कहानियां

छोटे बच्चे – अकबर बीरबल की कहानियां

एक दिन बीरबल दरबार में देरी से पहुंचे। बादशाह ने विलम्ब का कारण पूछा तो वह बोला, ‘मैं क्या करूँ महाराज! आज मेरे बच्चे जोर-जोर से रोने लगे कि हम दरबार में न जाएं।  small  kids

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बादशाह बड़ी मुश्किल से मैं किसी तरह उसे समझा पाया कि मेरे लिए दरबार में जाना कितना ज़रूरी है। मुझे काफी समय लगा और इसलिए मैं देर से आया।

बादशाह को लगा कि बीरबल बहाना बना रहा है।

बीरबल के इस उत्तर से बादशाह संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा, ‘मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं। जैसा आपने कहा, किसी भी बच्चे को समझाना इतना मुश्किल नहीं है। इसमें इतना समय नहीं लग सकता।

बीरबल हंसे और बोले, ‘हुजूर! बच्चे पर गुस्सा करना या डांटना बहुत आसान है। लेकिन विस्तार से कुछ बता पाना बहुत मुश्किल है।

बादशाह अकबर ने कहा, ‘मूर्खों की तरह बात मत करो। कोई भी बच्चा मेरे पास लाओ। मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि यह कितना आसान है।’

‘खैर, जहांपनाह!’ बीरबल ने कहा, ‘मैं खुद एक बच्चे की तरह व्यवहार करता हूं।

फिर आप मुझे पिता के समान तृप्त करते हैं।

तब बीरबल एक छोटे बच्चे की तरह व्यवहार करने लगे। उसने तरह-तरह के चेहरे बनाकर बादशाह अकबर को चिढ़ाया और एक छोटे बच्चे की तरह दरबार में इधर-उधर कूदने लगा।

उसने अपनी पगड़ी जमीन पर फेक दिया। फिर वह जाकर बादशाह अकबर की गोद में बैठ गया और उनकी मूंछों के साथ खेलने लगा।

बादशाह कहता रहा, ‘नहीं…नहीं मेरे बच्चे! ऐसा मत करो। तुम एक अच्छे बच्चे हो, है ना?’ बीरबल जोर से चिल्लाने लगा।

तब बादशाह अकबर ने कुछ मिठाई लाने का आदेश दिया, लेकिन बीरबल जोर-जोर से चिल्लाते रहे।

अब बादशाह परेशान हो गया, पर उसने सब्र रखा।

उन्होंने कहा, ‘बेटा! क्या तुम खिलौनों से खेलोगे देखो खिलौने कितने सुन्दर हैं।

बीरबल ने रोते हुए कहा, ‘नहीं, मैं गन्ना खाऊंगा।’

बादशाह अकबर मुस्कुराए और गन्ना लाने का आदेश दिया।

थोड़ी देर बाद एक सिपाही कुछ गन्ना लेकर आया। लेकिन बीरबल का रोना बंद नहीं हुआ। उसने कहा, ‘मुझे बड़े गन्ने नहीं चाहिए, गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर दे दो।’

बादशाह अकबर ने एक सैनिक को बुलाकर एक गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने को कहा। यह देखकर बीरबल जोर से रो पड़े और बोले, ‘नहीं, सिपाही गन्ना नहीं काटेगा। तुम ही काटो

अब बादशाह का मूड खराब हो गया। लेकिन उनके पास गन्ना काटने के अलावा कोई चारा नहीं था। और आप क्या करते हो वह खुद अपने ही जाल में फंस गया। बीरबल के सामने कटे हुए गन्ने को रखते हुए अकबर ने कहा, ‘लो बेटा।’

अब बीरबल बच्चों की तरह सिसकते हुए बोले, ‘नहीं, मैं पूरा गन्ना खा लूंगा।’

बादशाह ने एक पूरा गन्ना उठाया और बीरबल को दिया और कहा, ‘पूरा गन्ना लो और रोना बंद करो।’

लेकिन बीरबल रोता रहा और बोला, ‘नहीं, मुझे इन छोटे-छोटे टुकड़ों से ही पूरा गन्ना बना दो।’

‘कैसी अजीब बात करते हो! यह कैसे संभव है?’ राजा का स्वर क्रोध से भरा हुआ था।

लेकिन बीरबल रोता रहा। राजा का धैर्य जवाब दे गया। कहा, ‘अगर तुमने रोना बंद नहीं किया, तो अब तुम्हारी पिटाई होगी।’

अब बच्चे की भूमिका निभा रहे बीरबल खड़े हुए और हंसते हुए बोले, ‘नहीं…नहीं! मुझे मत मारो साहब अब क्या आप जानते हैं कि एक बच्चे की बेतुकी ज़िद को शांत करना कितना मुश्किल होता है?’

अकबर ने बीरबल की बात मान ली और कहा, ‘हां, तुम सही कह रहे हो। रोते हुए जिद्दी बच्चे को समझाना कोई बच्चों का खेल नहीं है।

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