Wednesday, July 2, 2025

टपके का डर 

टपके का डर  hindi kahaniya for kids

टपके का डर 

एक बार एक राजा के राज्य में एक शेर ने बहुत उत्पात मचा रखा था। उस शेर को कोई पकड़ नही पा रहा था। राजा भी अपनी पूरी कोशिश करके हार चुके थे पंरतु शेर को पकड़ने में  असफल रहे।

राजा ने अपने राज्य में डुग्गी पिटवा दिया कि जो इस शेर को पकड़ेगा उसे बहुत बड़ा इनाम दिया जायेगा। लोगों में यह चर्चा शुरू हो गयी थी कि जब राजा शेर को नहीं पकड़ पाए, तो भला किसमें इतना साहस है कि वह शेर को पकड़ लेगा।

शेर अपना शिकार अक्सर रात में ही करता था। वह कई लोगों की जान ले चुका था। लोगों में दहशत का माहौल था। लोग रात रात भर सोते नहीं थे। सभी लोग गुट बनाकर चलते थे और रात में पहरा देते थे। शेर बहुत चालाक था। लोगों की भीड़ को देखकर वह भाग जाता था। और अकेले चलते आदमी पर झपट पड़ता था।

जिस तरफ लोग पहरा देते थे शेर वहां से भाग कर दूसरी तरफ चला जाता था। और जब लोग दूसरी तरफ दौड़ते तो शेर भागकर बीहड़ में चला जाता था।

उसी राज्य में एक धोबी रहता था। धोबी राजा के कपड़े धोता था। धोबी का घर बहुत छोटा था। मकान कच्चा था, छत ऐसी थी कि जरा सी बारिस में टपकने लगती थी। बारिस के मौसम में धोबी बहुत परेशान हो जाता था, क्योंकि राजा के कपड़े पर पानी टपक गया तो दाग पड़ जायेगा, और राजा नाराज हो सकते हैं।

टपके का डर 

एक दिन, शाम से बारिस शुरू हो गयी थी। अँधेरी काली रात थी। शेर भागता हुआ आया और धोबी के घर के पीछे छुप गया। शेर आज धोबी का शिकार करने वाला था। इस मकसद से वह चुपचाप धोबी के घर के पीछे रूका हुआ था।

धोबी दिन में राजा के कपड़े धो कर सुखा चुका था। रात में बारिस हो रही थी तो वह उन कपड़ो को संभाल रहा था। और धोबन से बातें किये जा रहा था। शेर उन दोनों की बातें सुन रहा था। शेर सोच रहा था कि जैसे ही ये लोग सोयेंगे मैं उनपर हमला कर दूंगा।

रात काफी हो चुकी थी।  धोबन से धोबी से कहा -अब कितना कपड़े समेटोगे, चलो अब सो जाओ, नहीं तो शेर आ जायेगा। धोबी ने कहा – मुझे शेर से ज्यादा टपके से डर लगता है। भला शेर मेरा क्या बिगाड़ लेगा।

शेर धोबी की बात सुनकर चौक गया। अरे ये मुझसे ज्यादा ताकतवर कौन आ गया। धोबी को मुझसे ज्यादा टपके का डर लगता है। लगता है टपका बहुत ही ज्यादा खतरनाक है।

शेर यह सोच ही रहा था, कि उधर धोबी ने बाहर की तरफ देखा तो उसका गधा दिखाई नहीं पड़ा। वह बाहर निकल कर पीछे की तरफ गधे को ढूढ़ने चला गया। अँधेरी रात में कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।

रिम झिम बारिश हो रही थी। इसी बीच कुछ क्षण के लिए आसमानी बिजली चमकी और धोबी की नजर शेर की तरफ गयी। शेर को देखकर धोबी ने सोचा कि यही गधा है।

अंदाज से वह शेर के पास गया और उसका कान पकड़ लिया। और बोला गधे के बच्चे यहाँ छुपा है। शेर ने सोचा कि लगता है यही टपका है, जिसके बारे में धोबी कह रहा था। शेर बहुत डर गया था।

धोबी रात के अँधेरे में शेर को गधा समझ कर उसका कान पकड़ कर खींचता हुआ दरवाजे के पास लाया और गधे को बाँधने वाली रस्सी से शेर को बांध दिया। डर के मारे शेर चुपचाप बंधा रहा। उसे बांधकर धोबी सोने के लिए चला गया।

सुबह हो गयी। धोबी रात में देर सोया था जिसकी वजह से उसकी नींद नहीं खुली थी। उधर नगर के लोगों ने शेर को धोबी के दरवाजे पर बंधा देखा तो सबके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। लोगों  की भीड़ धोबी के दरवाजे पर इकट्ठी हो गयी।

इस बात की सूचना राजा को दी गयी। राजा स्वयं धोबी के दरवाजे पर अपने सैनिको के साथ पहुंच गए। शेर को बंधा देखकर राजा भी बड़े आश्चर्य चकित हुए।

राजा ने धोबी के इस कारनामें के लिए उसे बीरता का पुरस्कार दिया। और साथ ही ढेर सारी सोने की मोहरे इनाम के तौर पर दी। धोबी को उस कारनामें के लिए इनाम मिला जिसे उसने अनजाने में अंजाम दिया था।

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सौ चोटें

लालची लोमड़ी 

 

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