स्वयं को जानने की जरुरत है

स्वयं को जानने की जरुरत है  need to know yourself

एक शेरनी गर्भवती थी। उसकी गर्भावस्था पूरी हो चुकी थी, वह शिकारियों से बचने के लिए छलाँग लगा रही थी, तभी छलाँग के बीच में उसने एक बच्चे को जन्म दिया।

स्वयं को जानने की जरुरत है need to know yourself

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शेरनी एक टीले से दूसरे टीले पर छलाँग लगाने लगी लेकिन बच्चा नीचे गिर गया।

नीचे से भेड़ों की एक कतार गुजर रही थी। वह बच्चा उस समूह में पहुंच गया। वह शेर का बच्चा था लेकिन फिर भी भेड़ों को उस पर दया आ गई और उसने उसे अपने झुंड में शामिल कर लिया।

भेड़ों ने उसे दूध पिलाया और उसका पालन-पोषण किया। शेर अब जवान हो गया था। वह शेर का बच्चा था तो शारीरिक रूप से शेर बन गया, लेकिन भेड़ों के साथ रहने की वजह से वह भेड़ बनकर रहने लगा।

एक दिन एक शेर ने उसके झुंड पर हमला कर दिया। उसे देखकर भेड़ें भागने लगीं। शेर की नजर भेड़ों के बीच घूम रहे शेर पर पड़ी। दोनों आश्चर्य से एक दूसरे को देखते रहे।

सारी भेड़ें भाग गईं और शेर अकेला रह गया। इस शेर को दूसरे शेर ने पकड़ लिया। पकड़े जाने की वजह से वह शेर होते हुए भी रोने लगा।

खून बह रहा है, मुझे छोड़ देने की गुहार लगाने लगा। मुझे जाने दो। मेरे सभी दोस्त जा रहे हैं। मुझे मेरे परिवार से अलग मत करो, वगैरह वगैरह……

दूसरे शेर ने डांटा- अरे मूर्ख! ये तुम्हारे साथी नहीं है। तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, तुम पागल हो गए हो।

लेकिन वह नहीं माना, वह अपने को भेड़ समझता था और भेड़ चाल से चलता था।

बड़ा शेर उसे खींचकर नदी के किनारे ले गया। दोनों ने नदी में देखा।

बूढ़े शेर ने कहा- नदी के पानी में अपना चेहरा देखो और पहचान लो। जब उसने देखा तो पाया कि जो व्यक्ति अपनी जान की भीख मांग रहा था वह बिल्कुल उसके जैसा ही था।

उसे एहसास हुआ कि मैं भेड़ नहीं हूं। मैं इस शेर से भी मजबूत और शक्तिशाली हूं। उसका स्वाभिमान जाग उठा। आत्मविश्वास से भरकर वह जमकर गरजा।

यह शेर की दहाड़ थी। उसके भीतर से ऐसी गर्जना उठी कि पर्वत के साथ साथ बूढ़ा शेर भी कांप उठा।

बूढ़े शेर ने कहा- अरे! इतनी जोर से दहाड़ता है?

युवा शेर ने कहा- वह जन्म से कभी नहीं दहाड़ा। यह आपकी बहुत दयालुता है कि आपने मुझे जगाया।

इस दहाड़ से उनका जीवन बदल गया। अब एक एक शेर की भांति राजा की तरह रहने लगा।

यही बात इंसानों पर भी लागू होती है। यदि मनुष्य देखे कि जो बुद्ध में है, जो महावीर में है, जो सद्गुरु में है, जो कृष्ण और श्रीराम में है वही उसमें भी है।

तब हमारे भीतर से भी वह गर्जना फूटेगी.. अहं ब्रह्मास्मि. मैं ब्रह्मा हूं। पहाड़ गूंज उठेंगे। मन में घर कर चुके सारे विकार कांप उठेंगे और आपको अपने अंदर आनंद ही आनंद का अनुभव होगा।

भगवान  कहते हैं कि मैंने मानव अवतार लेकर तुम्हें दिशा दिखाने का प्रयास किया। इसे समझो और अपने अंदर लाओ।

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