Sunday, October 12, 2025

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राज्य में कौवे: अकबर और बीरबल की दिलचस्प कहानी

राज्य में कौवे: अकबर और बीरबल की दिलचस्प कहानी

राज्य में कितने कौवे हैं?”
एक दिन अकबर के दरबार में एक अजीब सवाल पूछा गया। यह सवाल सुनकर दरबार में बैठे सभी लोग चौंक गए। आखिरकार, यह सवाल इतना अजीब था कि कोई भी दरबारी इसका सही जवाब नहीं दे पाया। राज्य में इतने सारे कौवे हों, तो उनकी सटीक संख्या का अनुमान कैसे लगाया जाए?

अकबर ने भी सोचा, लेकिन उनके मन में कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया। तभी अकबर की नजरें बीरबल पर पड़ीं, जो अपनी बुद्धिमत्ता और हाजिरजवाबी के लिए प्रसिद्ध थे। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुम ही बताओ, हमारे राज्य में कितने कौवे हैं?”

बीरबल का चतुर जवाब
बीरबल ने बिना किसी हिचकिचाहट के उत्तर दिया, “जहांपनाह, राज्य में कुल 4,312 कौवे हैं।”

अकबर और दरबार के सभी लोग बीरबल की सटीक संख्या को सुनकर हैरान हो गए। अब सबकी जिज्ञासा और भी बढ़ गई थी कि बीरबल को इतनी सटीक संख्या कैसे पता चली? अकबर ने बीरबल से पूछा, “तुमने यह कैसे जाना, क्या तुमने पहले से गिनती कर रखी थी?”

बीरबल का रहस्यमय तर्क
बीरबल मुस्कुराए और कहा, “जहांपनाह, यदि आप चाहें तो अपने आदमी भेजकर कौवों की गिनती करवा सकते हैं। अगर गिनती में कौवे कम निकलें, तो इसका मतलब है कि कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए दूसरे राज्य चले गए होंगे। और यदि गिनती में कौवे ज्यादा निकलें, तो इसका मतलब है कि कुछ बाहरी कौवे हमारे राज्य में रिश्तेदारों से मिलने आए हैं।”

अकबर की प्रसन्नता और बीरबल की चतुराई
बीरबल की इस चतुराई को सुनकर अकबर बहुत खुश हुए। उन्होंने बीरबल की तारीफ की और उन्हें ढेर सारे उपहार दिए। दरबार के सभी लोग भी बीरबल की चतुराई से प्रभावित हुए और उनकी प्रशंसा करने लगे।

सीख:

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी समस्याओं को हल करने के लिए पारंपरिक सोच से बाहर जाकर सोचना पड़ता है। रचनात्मकता और चतुराई के साथ हम किसी भी मुश्किल को आसानी से हल कर सकते हैं।

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