🌾 सबसे बड़ा धन – शिक्षा का अमूल्य खजाना-Best Hindi Kahani
एक बार एक पराक्रमी राजा एक घने जंगल में शिकार खेलने गया था। शिकार खेलते खेलते काफी देर हो गया, अचानक आसमान में बादल छा गए और तेज बारिश होने लगी। सूरज ढलने लगा और धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा। अंधेरे में, राजा अपने महल का रास्ता भूल गया और सैनिकों से बिछड़ गया।
भूख, प्यास और थकावट से व्याकुल राजा जंगल के किनारे एक टीले पर बैठ गया। कुछ देर बाद उसे वहां तीन लड़के दिखाई दिए। तीनों लड़के अच्छे दोस्त थे। वे गांव की ओर जा रहे थे।
सुनो बच्चो! ‘यहाँ आओ।’ राजा ने उन्हें बुलाया। जब बच्चे वहां पहुंचे तो राजा ने उनसे पूछा- ‘क्या मुझे कहीं से कुछ खाना और पानी मिल सकता है?’ मुझे बहुत प्यास लगी है और भूख भी बहुत लगी है। बच्चों ने जवाब दिया- ‘जरूर’। हम घर जाकर आपके लिए कुछ लाते हैं।
वे गाँव की ओर भागे और तुरंत पानी और भोजन लेकर आए। बच्चों का उत्साह और प्रेम देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुए। राजा ने कहा – “प्यारे बच्चों! आप लोग जीवन में क्या करना चाहते हैं? मैं आप सभी की मदद करना चाहता हूं।”
कुछ देर सोचने के बाद एक लड़का बोला – ‘मुझे बहुत सारा धन चाहिए।’ मैंने कभी दो बार रोटी नहीं खाई। मैंने कभी सुंदर कपड़े नहीं पहने हैं, इसलिए मुझे केवल धन चाहिए। राजा ने मुस्कुराते हुए कहा – ठीक है। मैं तुम्हें इतना धन दूंगा कि तुम जीवन भर खुश रहोगे।
यह सुनकर बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दूसरे बच्चे ने बड़े उत्साह से पूछा – “क्या आप मुझे एक बड़ा बंगला और एक घोड़ागाड़ी देंगे?” राजा ने कहा – यदि आप यही चाहते हैं, तो आपकी इच्छा भी पूरी होगी।
तीसरे बच्चे ने कहा – “मुझे न तो धन चाहिए और न ही बंगला-गाड़ी। आप मुझे बस ऐसा आशीर्वाद दें कि मैं पढ़-लिखकर विद्वान बन सकूं।” अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, मैं अपने देश की सेवा करना चाहता हूं। तीसरे बच्चे की इच्छा सुनकर राजा बहुत प्रभावित हुआ।
राजा ने उसके लिए सबसे अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की। वह एक मेहनती बच्चा था, इसलिए उसने दिन-रात पढ़ाई की और एक महान बन गया। विद्वान और समय आने पर राजा ने उसे अपने राज्य में मन्त्री नियुक्त कर दिया।
एक दिन अचानक राजा को बरसों पहले घटी घटना याद आ गई। उसने मंत्री से कहा, “वे दोनों बच्चे कैसे हैं जो बरसों से तुम्हारे साथ थे। मैं तुम तीनों को एक साथ देखना चाहता हूँ। उन दोनों को महल में आमंत्रित करों, हम सब साथ में भोजन करेंगे।
मंत्री ने उन दोनों को संदेश भिजवा दिया और अगले दिन वे सभी एक साथ राजा के सामने उपस्थित हुए। ‘आज तुम तीनों को एक बार फिर एक साथ देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। राजा ने मंत्री के कंधें पर हाथ रखते हुए कहा -इनके बारे में तो मैं जनता हूँ , तुम दोनों अपनी-अपनी बताओ।”
पैसे मांगने वाला लड़का उदास होकर बोला, “महाराज, मैंने उस दिन आपसे पैसे मांगकर बहुत बड़ी गलती की थी। इतना पैसा पाकर मैं आलसी हो गया था। और बहुत सारा पैसा फालतू की चीजों में खर्च कर दिया, मेरा बहुत सारा धन चोरी भी हो गया था। जिससे कुछ ही सालों में मैं वापस उसी हालत में पहुंच गया, जिसमें आपने मुझे देखा था।”
उसके बाद बंगला गाड़ी मांगने वाले लड़के ने रोते हुए कहा- “महाराज, मैं अपने बंगले में बड़े ठाट-बाट से रह रहा था, लेकिन वर्षों पहले आई बाढ़ में सब कुछ बर्बाद हो गया और मैं भी अपनी पिछली स्थिति में आ गया।
उनकी बातें सुनकर राजा ने कहा, इस बात को गांठ बांध लो कि धन-दौलत हमेशा हमारे पास नहीं रहते, लेकिन ज्ञान मनुष्य के जीवन भर काम आता है और उसे कोई चुरा नहीं सकता। शिक्षा ही मानव को विद्वान और बड़ा आदमी बनाती है, इसलिए मनुष्य का सबसे बड़ा धन “विद्या” ही है।
🌿कहानी से सीख (Moral of the Story):
- असली सबसे बड़ा धन पैसा नहीं, बल्कि ज्ञान है।
- धन और वैभव नश्वर हैं, परंतु विद्या अमर है।
- शिक्षा ही इंसान को महान और सम्मानित बनाती है।
- जो ज्ञानवान है, वह सदा समृद्ध है।

