Wednesday, November 12, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

आंतरिक पथ की ओर चलें | Walk on the Inner Path

आंतरिक पथ की ओर चलें | Walk on the Inner Path

आंतरिक पथ की ओर चलें – मनुष्य का जीवन निरंतर खोज की यात्रा है — शक्ति, धन, सम्मान, पद, प्रसिद्धि और अंततः आत्म-साक्षात्कार की खोज। हम अपने जीवन में निरंतर कुछ पाने की दौड़ में रहते हैं, परंतु अक्सर यह भूल जाते हैं कि वास्तविक शांति बाहर नहीं, हमारे भीतर है।

संसार का आकर्षण हमें बाहरी सफलता की ओर खींचता है, लेकिन जब जीवन की हलचल और थकान हमें छूती है, तब आत्मा हमें भीतर की ओर मुड़ने के लिए पुकारती है। यही वह क्षण होता है जब आंतरिक पथ की यात्रा प्रारंभ होती है — वह पथ जो हमें हमारे वास्तविक स्वरूप तक ले जाता है।

बाहरी और आंतरिक पथ का अंतर

बाहरी पथ हमें शक्ति और प्रसिद्धि की ओर ले जाता है। हमारी इंद्रियाँ बाहर की ओर केंद्रित हैं —
हमारी आंखें बाहर की वस्तुओं को देखती हैं,
कान बाहर की ध्वनियाँ सुनते हैं,
जीभ बाहरी स्वाद को अनुभव करती है,
त्वचा बाहरी स्पर्श को महसूस करती है,
नाक बाहर की सुगंध को सूंघती है।

इसी कारण हम बाहरी उपलब्धियों के पीछे भागते हैं, क्योंकि हमारी इंद्रियाँ हमें उसी दिशा में ले जाती हैं। लेकिन जब हम भीतर झांकना शुरू करते हैं, तब समझ आता है कि असली शक्ति — आत्म-शक्ति — हमारे अंदर ही छिपी है।

आंतरिक पथ क्या है?

आंतरिक पथ, आत्मनिरीक्षण और ध्यान का मार्ग है। यह पथ हमें हमारी आत्मा से जोड़ता है, हमारे भीतर बहने वाली दिव्य ऊर्जा से परिचित कराता है। जब हम भीतर की शक्ति को पहचानते हैं, तो हम न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि भौतिक रूप से भी सशक्त बनते हैं।

आत्म-साक्षात्कार का मार्ग चुनना आसान नहीं, परंतु जब कोई साधक इस राह पर चल पड़ता है, तो उसे ज्ञात होता है कि सारी शक्ति, प्रेम और आनंद ईश्वर से नहीं, बल्कि ईश्वर के भीतर बसे अपने अस्तित्व से प्राप्त होता है।

आंतरिक संतुष्टि का अनुभव

बाहरी उपलब्धियाँ क्षणिक हैं। धन, प्रसिद्धि और पद समय के साथ बदल जाते हैं, लेकिन आंतरिक संतुष्टि शाश्वत है।
जब कोई व्यक्ति ध्यान, साधना और आत्मनिरीक्षण के माध्यम से ईश्वर से जुड़ता है, तो उसे एक गहरी शांति और आनंद की अनुभूति होती है।

यह वही अवस्था है जहाँ अहंकार समाप्त हो जाता है, और व्यक्ति यह अनुभव करता है —

“मैं वही हूँ जो ईश्वर है, और ईश्वर वही है जो मैं हूँ।”

🌸 निष्कर्ष (Niskarsh):

आंतरिक पथ की ओर चलना, स्वयं की खोज की यात्रा है।

यह मार्ग कठिन अवश्य है, परंतु जब आप भीतर उतरते हैं, तो आपको अपनी वास्तविक पहचान मिलती है — एक ऐसी शक्ति जो कभी समाप्त नहीं होती। सच्चा आनंद, सच्ची शांति और सच्चा प्रेम बाहरी नहीं, आपके भीतर है।

ईश्वर तक पहुँचने के लिए आपको किसी दूर स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं, बस अपने हृदय की नीरवता में उतरना है। वहीं पर सब उत्तर हैं, वहीं पर परम शांति है।

Popular Articles

error: Content is protected !!