जब आपके करीबी ही आपको धोखा देने लगें, तो आपको क्या करना चाहिए? यह सवाल बहुत दर्दनाक और जटिल हो सकता है, खासकर जब यह किसी ऐसे व्यक्ति से हो, जिसे आप अपना अपना समझते थे। घरवालों से धोखा खाने पर दिल टूटना स्वाभाविक है, और इसका असर आपके विश्वास पर भी पड़ सकता है। ऐसे में क्या हमें इन रिश्तों को खत्म कर देना चाहिए, या फिर समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए?
आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज का कहना है कि अगर परिवार का कोई सदस्य आपको धोखा दे रहा है, तो सबसे पहले आपको यह देखना चाहिए कि वह रिश्ता आपके जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। अगर उस रिश्ते के कारण आपके जीवन में और रिश्तों पर असर पड़ रहा है, जैसे कि आपके वैवाहिक जीवन पर, तो आपको उस व्यक्ति से दूरी बना लेनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपके भाई के कारण आपके शादीशुदा जीवन में समस्याएँ आ रही हैं, तो आपके लिए सही यही होगा कि आप भाई से रिश्ता तोड़ लें, क्योंकि आपका वर्तमान संबंध पति के साथ ज्यादा महत्वपूर्ण है।
अगर हम प्रेमानंद महाराज की सलाह छोड़ भी दें, तो यह समझना जरूरी है कि कोई भी रिश्ता अगर विषाक्त हो जाए, तो उसे छोड़ देना ही बेहतर होता है। जब अपने करीबी ही आपको धोखा देने लगें, तो यह स्थिति बहुत कठिन और दर्दनाक हो सकती है। ऐसे समय में आपको धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। क्या यह कोई गलतफहमी, ईर्ष्या, संपत्ति विवाद, या कुछ और कारण है? ऐसी स्थिति में किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करके समस्या का हल ढूंढें। कभी-कभी शांतिपूर्वक बातचीत से गलतफहमियाँ दूर हो सकती हैं।
अगर आपको गुस्सा आ रहा हो, तो गुस्से में आकर कोई कदम न उठाएं। शांत होकर सोचें और फैसला लें, ताकि बाद में आपको पछतावा न हो। अगर बात नहीं बनती, तो अपनी भावनात्मक और आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उस व्यक्ति से दूरी बनाएं। इस दौरान किसी समझदार व्यक्ति से सलाह लें, क्योंकि कभी-कभी बाहरी नजरिया चीजों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।
ऐसी स्थिति में मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है, इसलिए अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर के किसी सदस्य के प्रति नकारात्मक भाव न रखें। अगर संभव हो तो दूसरों की गलतियों को माफ करके उनसे दूरी बना लें। क्योंकि अगर आप मन में कड़वाहट रखेंगे, तो केवल आपकी मानसिक स्थिति खराब होगी।
इसलिए, इस तरह के कठिन समय में खुद को और अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, और समझदारी से फैसले लें।