लिखकर दो

 

लिखकर दो

लिखकर दो -स्वामी विवेकानंद और दो विदेशी लड़कियों की कहानी

एक बार स्वामी विवेकानन्द विदेश में ट्रैन से सफर कर रहे थे। सफर केदौरान जिस सीट पर वे बैठे थे उनके सामने ही दो विदेशी लड़कियां बैठी थी और वे स्वामी विवेकानन्द के भारतीय परिधान को देखकर उनपर है रहीं थी। अचानक उन लड़कियों की नजर स्वामी विवेकानन्द की कलाई पर पड़ी। उन्होंने ने महँगी घडी पहन रखी थी। घडी को देखकर उन लड़कियों ने उसे स्वामी विवेकानन्द से पाने की तरकीब सोची।

वे दोनों लड़कियां उनके पास गयीं और बोली – यह घड़ी निकाल कर हमें देदो, नहीं तो मैं पुलिस को बुलाऊंगी, और बोलूंगी  कि तुमने हमारे साथ छेडछाड़ किया है। स्वामी विवेकानन्द ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। वे लड़कियां फिर से वही बात कहने लगी कि यह घड़ी निकाल कर मुझे देदो, नहीं तो मैं पुलिस को बुलाऊंगी, और बोलूंगी  कि तुमने हमारे साथ छेडछाड़ किया है। स्वामी विवेकानन्द ने फिर से अनसुना कर दिया जैसे वे कुछ सुन ही नहीं रहें हैं। वे लड़कियां बार बार वही धमकी देती रहीं और हर बार की तरह स्वामी विवेकानन्द अनसुना करते रहे।

अंत में स्वामी विवेकानन्द ने उनसे कहा कि तुम जो कह रही हो उसे लिखकर दो, फिर मैं समझ जाऊंगा की तुम क्या चाहती हो। वो लड़कियां तैयार हो गयी। लड़की ने एक पेपर पर लिख दिया कि “तुम यह घड़ी निकाल कर मुझे देदो, नहीं तो मैं पुलिस को बुलाऊंगी, और बोलूंगी  कि तुमने हमारे साथ छेडछाड़ किया है”। स्वामी विवेकानन्द ने मुस्कराते हुए वो पेपर हाथ लिया और बोले – अब पुलिस को बुलाओ।

असल में मामला क्या था, वह उस कागज पर लिखा हुआ था। पुलिस को बुलाने के बजाय वे लड़कियां वहाँ से तुरंत भाग खड़ी हुई।

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