मेहनत का परिणाम Mehnat ka Parinam
मेहनत का परिणाम Mehnat ka Parinam– एक गाँव में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसका नाम हीरा था। हीरा के पास कई खेत थे। उसने कई नौकरों और मजदूरों को काम पर रखा था। हीरा बहुत सुस्त और आलसी था। वह कभी अपने खेतों को देखने नहीं जाता था। वह अपने मजदूरों और नौकरों को भेजकर ही काम करवाता था।
मजदूर व अन्य नौकर मनमाने ढंग से काम करते थे। वे कुछ देर खेत पर काम करते थे, बाकी समय घर पर बैठ जाते थे, या इधर-उधर घूमते रहते थे और गपशप करते थे। खेतों की न तो ठीक से जुताई की गई थी, न ही सिंचाई की गई थी और न ही उन्हें उचित खाद मिली थी।
बीज ठीक से खेतों में नहीं गिरते थे और कोई उनकी घास नहीं हटाता था। नतीजतन, उपज धीरे-धीरे कम होने लगी। कुछ ही दिनों में हीरा की तबीयत बिगड़ने लगी।
उसी गाँव में काशी नाम का एक और किसान था। उसके पास खेत नहीं थे। वह हीरा के कुछ खेतों को लेकर खेती करता था, लेकिन बहुत मेहनती था ।
मेहनत का परिणाम Mehnat ka Parinam
वह अपने मजदूरों के साथ खेत पर जाता था, खूब मेहनत करता था। उनके खेतों की अच्छी तरह से जुताई और सिंचाई की जाती थी और अच्छी खाद देता था। खेत से घास को हटा दिया गया और बीज भी समय पर बो दिए गए।
उनके परिवार के सदस्य भी खेत में काम करते थे। उनके खेत में उपज अच्छी थी। वह किराया और खर्च निकाल कर भी बहुत सारा खाना बचा लेता था। काशी कुछ ही दिनों में अमीर हो गया।
जब हीरा बहुत गरीब हो गया, तो वह साहूकारों का ऋणी हो गया, इसलिए उसे अपने खेत को बेचने की आवश्यकता महसूस हुई। यह खबर मिलते ही काशी उसके पास आए और बोले- ‘मैंने सुना है कि तुम अपने खेत बेचना चाहते हो। कृपया अपने खेत मुझे बेच दो। मैं दूसरों से कम भुगतान नहीं करूंगा।
हीरा ने आश्चर्य से पूछा – ‘भाई काशी ! मेरे पास इतने खेत थे, फिर भी मैं कर्जदार हो गया, लेकिन तुम्हारे पास पैसे कहां से आए? तुम मेरी अपनी थोड़ी सी जमीन लेकर खेती करते थे। तुम्हें उन खेतों का किराया भी देना होगा और घर के काम भी तुम्हें ही चलाने होंगे। मेरा खेत खरीदने के लिए तुम्हें पैसे किसने दिए?
काशी ने कहा- ‘मुझे किसी ने पैसे नहीं दिए। मैंने खेतों की उपज से ही पैसा इकट्ठा किया है। तुम्हारी और मेरी खेती में फर्क है। नौकर-मजदूर आदि सभी को ‘जाओ’ कहते हो, इससे तुम्हारी संपत्ति भी चली गई है। मजदूरों और नौकरों के काम करने के लिए तैयार होने से पहले, मैं हमेशा उन्हें अपने साथ काम करने के लिए ‘आओ’ कहता हूं। यह मेरे लिए धन लाता है।
काशी की बात सुनकर हीरा बहुत प्रभावित हुआ। उसने अपना खेत बेचकर कर्ज चुका दिया और बाकी खेतों में लगन से काम करने लगा। कुछ ही दिनों में उसकी हालत में सुधार हो गया। वह फिर से सुखी और समृद्ध हो गया।
इसलिए कहते हैं परिश्रम करने वाला प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफल होता है, इसमें समय अवश्य लगता है, लेकिन एक दिन वह निश्चित सफल होता है।