Sunday, October 26, 2025

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असली कीमत

असली कीमत

असली कीमत Gyan Hans

असली कीमत

इंसान की उम्र में जैसे जैसे  वृद्धि होती जाती है, कहीं  न कहीं उसके समझ में आने लगता है की वह पांच सौ रुपये की घडी पहने या पांच हजार की , एक हजार के कपड़े पहने या दस हजार के, दोनो घडियाँ समय एक जैसा ही बताएंगी और दोनो कपड़े एक जैसा ही शरीर को ढकेंगे  हैं ।  चाहे तीन सौ  का बैग हो या  तीन हजार का, दोनों बैग के अंदर के सामान में कोई परिवर्तन नहीं होंगा। दो सौ गज के मकान में रहता हो या दो हजार गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा।

सत्य यह भी है यदि हम फर्स्ट क्लास में यात्रा करते है  या जनरल डिब्बे में, हम अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचेंगे।

इसीलिए, अपने बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित करना सही नहीं है बल्कि उन्हें यह सिखाना ज्यादा जरूरी है कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं।

आज के वक्त में ब्रांडेड चीजों का इस्तेमाल लोगो के दिलो में घर कर गया है अगर हम ब्रांडेड वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं कर रहे है तो कहीं न कही हम पीछे है या फिर हम अमीर नहीं लगेंगे, ऐसा स्टेटस दिखाना जरुरी हो गया है।

क्या आई फ़ोन लेकर चलने से ही लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानेंगें ? क्या रोजाना एक बड़े रेस्टॉरेंट में खाना खाने से, अपने मित्रो के साथ बड़ी बड़ी पार्टियां करने से ही लोग मुझे एक रईस परिवार से हूँ , यह समझेंगे? क्या हमेसा ब्रांडेड कपडे पहनने से, अपनी बातो में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करने से, अंग्रेजी गाने सुनने से  ही लोग मुझे सभ्य और विकसित समझेंगे?  नहीं  !!!

कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे जा सकते है, भूख लगने पर किसी ठेले से ले कर खाना खाया जा सकता है और जिसमें कोई अपमान नहीं है।

एक बहुत बड़ा सत्य यह भी है कि – ऐसे लोग भी  हैं जो एक  ब्रांडेड जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं। एक मैगडोनर के बर्गर की कीमत में सारे घर का भोजन बना सकते हैं।

यहाँ पर यह रहस्य निकलता है कि बहुत सारा पैसा ही सब कुछ नहीं है, जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं, वह सदैव सत्य नही होता। मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है, ना कि उसकी मौजुदा शक्ल सूरत और उसका रहन -शहन ।

आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए। मन के भीतर एक सत्य दीपक  जलाईये और सदा मुस्कुराते रहिए, वह मुस्कराहट आपके जीवन के सारे अँधेरे को दूर कर देगी।

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