🍇 गुच्छे की कीमत – प्रेरणादायक हिंदी कहानी
गुच्छे की कीमत – फलों के एक दुकान पर फल लेने के लिए गया। दुकान वाले से पूछा -भाई ये अंगूर कैसे दिए ? दुकान वाले ने कहा -पच्चीस रूपये पाव। हमने दुबारा पूछा ये जो गुच्छे से अलग रखा हुआ है इसका क्या भाव है?
दुकान वाले ने कहा ये दस रुपये पाव है। हमने पूछा ये बिना गुच्छे के अंगूर, ठीक तो हैं न। दुकान वाले ने कहा – हाँ हाँ, ये बिलकुल सही हैं, गुच्छे वाले की ही तरह।
हमने पूछा परन्तु फिर ये इतना सस्ता कैसे हुआ ? दुकान वाले ने कहा -क्योंकि अब ये अंगूर गुच्छे से अलग हो गए हैं। और हर ग्राहक गुच्छा ही लेना पसंद करता है क्योंकि उसे यह विश्वास होता है की गुच्छे वाला ही ज्यादा अच्छा होता है। इसलिए गुच्छे से अलग इन अंगूरों की कीमत कम है।
उस दुकान वाले की बात में एक बहुत बड़ी सीख छुपी हुई थी। जो वह उन अंगूरों की कीमत के बारें में बताकर दे रहा था।
वह सीख यह है कि हमारा परिवार भी अंगूर के गुच्छे की भांति ही होता है। आधुनिक युग में परिवार में एकता विलुप्त होती जा रही है। कोई भी बड़े परिवार का हिस्सा नहीं बनना चाहता। हर कोई यह सोचने लगा है कि परिवार में रहकर उसे वह हक़ या वो मान सम्मान नहीं मिल पायेगा, या वह परिवार में रहकर वह सुख नहीं पा सकता, या वह वो सबकुछ हासिल नहीं कर सकता, जो वह अलग रहकर हासिल कर सकता है।
यह बात सर्वथा मिथ्या है कि परिवार से अलग होकर कोई सुख या मान सम्मान पा सकता है। जैसे अंगूर की कीमत गुच्छे से अलग होकर कम हो जाती है। जैसे एक विशाल पेड़ की डाली की पेड़ से अलग होने पर कोई कीमत नहीं रह जाती। ठीक उसी तरह परिवार से अलग हुए व्यक्ति की कीमत बहुत कम और न के बराबर हो जाती है।
जो व्यक्ति परिवार से अलग हो जाता है, समाज में उसका मान सम्मान कम हो जाता है। रिश्तेदार भी उसे निम्न दृष्टि से देखने लगते हैं। इसलिए अपनी कीमत को बनाये रखना हैं तो कभी भी परिवार से अलग होने के बारे में न सोचे। क्योंकि वहीं पर आपकी सच्ची कीमत है।
🌸 कहानी से सीख (Moral of the Story):
- एकता में ही असली शक्ति और सम्मान है।
- परिवार से अलग होकर व्यक्ति अपनी पहचान खो देता है।
- जो साथ चलता है, वही जीवन में सच्ची मिठास पाता है।

