Sunday, October 26, 2025

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शालीनता की आड़ में धोखा: कबूतर-कबूतरी की भावुक प्रेरणादायक कहानी

शालीनता की आड़ में धोखा: कबूतर-कबूतरी की भावुक प्रेरणादायक कहानी

एक कबूतर और एक कबूतरी एक पेड़ की शाखा पर बैठे थे। उन्होंने दूर से एक आदमी को आते देखा। कबूतरी के मन में कुछ शंका हुई और उसने कबूतर से कहा कि चलो जल्दी उड़ो नहीं तो यह आदमी हमें मार डालेगा।

shalinata ki poshak 

कबूतर ने गहरी सांस लेते हुए शांति से कबूतरी से कहा… अगर तुम उसे ध्यान से देखो, उसके व्यवहार को देखो, उसकी पोशाक को देखो, उसके चेहरे से शालीनता टपक रही है, वह हमें क्यों मारेगा… वह एक सज्जन व्यक्ति की तरह दिखता है। .?

कबूतर की बात सुनकर कबूतरी चुप हो गयी। जब वह आदमी उनके करीब आया, तो अचानक उसने अपने कपड़ों के अंदर से धनुष-बाण निकाला और तुरंत कबूतर को मार डाला। बेचारे कबूतर की जान चली गई।

बेबस कबूतरी ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई और रोने लगी. उसके दुःख की सीमा न रही और एक ही क्षण में उसकी सारी दुनिया नष्ट हो गयी।

इसके बाद कबूतरी अपनी शिकायत लेकर रोती हुई राजा के पास गयी और उन्हें पूरी घटना बतायी।

राजा बहुत दयालु व्यक्ति था। राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को उस शिकारी को पकड़कर वापस लाने का आदेश दिया।

तुरन्त शिकारी को पकड़कर दरबार में लाया गया। शिकारी ने डर के मारे अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

इसके बाद राजा ने शिकारी को दंड देने का अधिकार कबूतरी को दे दिया और उससे कहा, “तुम इस शिकारी को जो भी दंड देना चाहो दे सकती हो और उस पर तुरंत अमल किया जाएगा।”

कबूतरी ने बड़े दुःखी मन से कहा, “हे राजन, मेरा जीवन साथी इस दुनिया को छोड़कर चला गया है और अब कभी वापस नहीं आएगा, इसलिए मेरी राय में इस क्रूर शिकारी को बस यही सजा दी जानी चाहिए कि  यदि यह शिकारी है तो इसे हर समय शिकारी की पोशाक पहननी चाहिए, इसे शराफत की पोशाक उतार देनी चाहिए, क्योंकि जो लोग शराफत की पोशाक पहनते हैं और धोखे से घृणित कार्य करते हैं वे सबसे बड़े दुष्ट लोग होते हैं…।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ऐसे धोखेबाजों से हमेशा सावधान रहना चाहिए जो आपके आसपास शालीनता का दिखावा करते हैं…सतर्क रहें और अपना ख्याल रखें।

कहानी से शिक्षा (Moral of the Story):

हर वह व्यक्ति जो बाहर से शालीन, सज्जन या भरोसेमंद दिखाई देता है, वह भीतर से वैसा हो — यह ज़रूरी नहीं होता। हमें लोगों के सिर्फ़ कपड़ों, चेहरों या बातों से नहीं, बल्कि उनके कर्मों और व्यवहार से उन्हें पहचानना चाहिए।

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