अद्भुत पेड़ The Amazing Tree

अद्भुत पेड़ The Amazing Tree

एक समय की बात है, एक हरे-भरे और सुंदर गाँव में एक जादुई पेड़ था। यह पेड़ अनोखा था, क्योंकि हर दिन इस पर अलग-अलग प्रकार के फल लगते थे। एक दिन पेड़ पर मीठे सेब उगते, तो अगले दिन रस भरे आम, और फिर कभी अंगूर, कभी संतरे। गाँव के लोग इस पेड़ को बहुत मानते थे और इसे प्रकृति का अद्भुत वरदान मानते थे।

अद्भुत  पेड़ The Amazing Tree

अद्भुत पेड़ The Amazing Tree

गाँव के हर व्यक्ति के दिल में उस पेड़ के प्रति आदर और आभार था। गाँव वाले न केवल उस पेड़ की पूजा करते थे, बल्कि उसके फलों का भी ध्यान से उपयोग करते थे। हर कोई केवल जरूरत भर के फल लेता, ताकि पेड़ को नुकसान न हो और आने वाले दिनों में भी सभी को इसका लाभ मिलता रहे।

लेकिन गाँव में एक व्यक्ति था, जिसका नाम गोपाल था। गोपाल स्वभाव से बहुत लालची था। उसे हर चीज़ में अपना लाभ दिखाई देता था और वह हमेशा सोचता था कि कैसे वह जल्दी से अमीर बन सकता है। जब गोपाल ने देखा कि इस जादुई पेड़ पर हर दिन अलग-अलग फल लगते हैं, तो उसके मन में लालच का बीज अंकुरित हो गया।

गोपाल ने सोचा, “अगर मैं इस पेड़ के सारे फल एक साथ चुरा लूं, तो मैं उन्हें बेचकर बहुत सारा पैसा कमा सकता हूँ। फिर मुझे कोई काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और मैं आराम से जीवन बिता सकूँगा।”

उसने अपने लालच को सच में बदलने की योजना बनाई। एक रात, जब पूरा गाँव गहरी नींद में था, गोपाल चुपके से पेड़ के पास पहुंचा। उसने बड़े-बड़े थैले लाए और पेड़ के सारे फल एक-एक करके तोड़ने लगा। उसे किसी और की परवाह नहीं थी। वह सिर्फ अपने लालच को पूरा करना चाहता था। उसने पूरी रात लगाकर पेड़ के सारे फल चुरा लिए और अपने घर ले आया।

अगली सुबह, जब गाँव वाले अपने प्यारे पेड़ के पास पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि पेड़ पर एक भी फल नहीं था। पेड़ जो पहले हरा-भरा और फलों से लदा रहता था, अब सूखा और बेरंग दिखाई दे रहा था। गाँव वाले चिंतित हो गए और सोचने लगे कि आखिर यह कैसे हो सकता है। धीरे-धीरे पेड़ की हालत और खराब होने लगी, उसकी शाखाएं सूखने लगीं और पत्ते झड़ने लगे।

गाँव वालों को समझ में नहीं आ रहा था कि उनके प्यारे पेड़ के साथ क्या हो गया। वे सभी बेहद दुखी और निराश थे। इसी बीच किसी ने गोपाल के घर के पास बहुत सारे फल देखे। जब गाँव वालों ने गोपाल से पूछताछ की, तो उसने पहले तो झूठ बोला, लेकिन फिर गाँव वालों के सामने उसकी सच्चाई उजागर हो गई।

गोपाल ने स्वीकार किया कि उसने लालच में आकर पेड़ के सारे फल चुरा लिए थे, ताकि वह उन्हें बेचकर अमीर बन सके। लेकिन गोपाल का लालच ही उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। उस पेड़ के सारे फल तोड़ने से पेड़ कमजोर हो गया था और उसकी जादुई ताकत भी खत्म हो गई थी। अब वह पेड़ सूख चुका था और उस पर कभी भी फल नहीं लगने वाले थे।

गोपाल को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गाँव वालों से माफी मांगी। उसने अपने लालच और स्वार्थ के कारण न केवल खुद का नुकसान किया था, बल्कि पूरे गाँव को भी दुखी कर दिया था। गोपाल ने सभी से वादा किया कि वह अब से लालच से दूर रहेगा और हमेशा दूसरों के भले के लिए काम करेगा।

इस घटना के बाद, गोपाल ने अपने जीवन को बदल लिया। उसने लालच को त्याग दिया और गाँव के लोगों की मदद करने लगा। धीरे-धीरे, गाँव में फिर से खुशहाली लौट आई, लेकिन जादुई पेड़ का सूखना सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सीख बन गया।

कहानी से शिक्षा -यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच हमेशा नुकसान का कारण बनता है। संतोष और दूसरों के प्रति प्रेम ही असली धन है। हमें अपने लालच पर काबू रखना चाहिए और संतोष के साथ जीवन जीना चाहिए।

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