एक जोड़े की नई नई शादी हुई थी। दोनों हनीमून के लिए गए। वहाँ पर वे दोनों बोट राइडिंग के लिए समुन्द्र के किनारे गए। दोनों एक बोट पर सवार होकर समुद्र के किनारे को छोड़ कर काफी दूर आ गए। बोट पर इस नए जोड़े के अतिरिक्त और कोई न था। दोनो बड़े प्रसन्न थे। दोनो एक दूसरे को छेड़ रहे थे, आपस में अठखेलियाँ कर रहे थे। तभी अचानक समुद्री तूफान आ गया और समुन्दर की ऊंची ऊंची लहरें उठने लगी। इनकी बोट उन लहरों के साथ जोर से हिलने लगी। नई नवेली दुल्हन तो एकदम से डर गयी और जोर जोर से चिल्लाने लगी। लेकिन उसका पति शांति से बोट के एक किनारे पर बैठ गया मानो जैसे सबकुछ एकदम सामान्य हो। पत्नी ने अपने पति से बोला- इतने जोर का तूफान है हमारी बोट किसी भी समय समुन्दर में डूब सकती है, हमारी जान जा सकती है, और आप ऐसे बैठे हो जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पत्नी की बात सुनकर उसका पति अचानक से उठा और म्यान से तलवार निकल कर पत्नी की गर्दन पर रखकर बोला -क्या तुम्हे इस तलवार से डर लग रहा है। पत्नी ने कहा -किस बात का डर । पति ने कहा -इस तलवार से तुम्हरी गर्दन कट सकती है। पत्नी बोली – नहीं, मुझे कोई डर नहीं लग रहा है, क्योकि मैं जानती हूँ कि ये तलवार आपके हाथ में है, और आप मेरे पति है, मुझसे बहुत प्रेम करते है, आप मुझे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुँचायेंगे। पति मुस्कराया और तलवार को वापस म्यान में रखते हुए बोला, जिस प्रकार तुम्हे मुझपर भरोसा है उसी प्रकार मुझे उस परमात्मा पर भरोसा है जिसने हम सबको बनाया है जो हमसे बहुत प्यार करता है, मैं जानता हूँ की यह तूफान भी उसके हाथ में है और वो हमें किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होने देगा। पति की बाते सुनकर पत्नी के मन से सारा भय समाप्त हो गया। दोनों शांत मन के साथ नाव के बीच में बैठ गए, सौभाग्यवश थोड़ी देर बाद तूफान शांत हो गया, और उनकी नाव धीरे धीरे किनारे की तरफ बढ़ चली।
हम सब उस परमात्मा की रचनायें है। उसे हमारे हर सुख दुःख, हर परिस्थिति का ज्ञान है। हम सुख में उपरवाले को भूल जाते है दुःख में घबरा जाते है और उसे याद करते है। मनुष्य को हर परिस्थिति में सामान्य रहना चाहिए और उस परमात्मा को पूरी श्रद्धा और अटूट बिश्वास के साथ अपने जीवन की बागडोर सौप देनी चाहिए क्योंकि परमात्मा ही सबका कर्ता धर्ता है।